लोथल
लोथल से एक घर से सोने के दाने, सेलखड़ी की चार मुहरें, सीप एवं ताँबे की बानी चूड़ियाँ और बहुत अच्छे से रंगा हुआ एक मिटटी का जार प्राप्त हुआ है। लोथल से शंख का कार्य करने वाले दस्तकारों और ताँबे का कार्य करने वाले कारखाने भी मिले हैं। नगर दुर्ग के पश्चिम की ओर विभिन्न आकार के 11 कमरे प्राप्त हुए हैं, जिनका प्रयोग मनके या दाना बनाने की फैक्ट्री के रूप में किया जाता था। यहाँ से मुख्य आवासीय क्षेत्र में कई बड़े भवन भी मिले हैं, जिनमे चार से छः कमरे, स्नानागार, एक विशाल आंगन और बरामदा बने हैं। कुछ भवनों में अग्निवेदी भी मिली है। लोथल में स्थित पतली सड़कों में से एक को बाजार वाली गली की संज्ञा दी गयी है।
लोथल के नगर क्षेत्र के बाहर की ओर उत्तर-पश्चिमी किनारे पर समाधि क्षेत्र मिला है, जहाँ 20 समाधियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। लोथल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि हड़प्पाकालीन बंदरगाह के अतिरिक्त विशिष्ट मृदभाण्ड, उपकरण, मुहरें, बाट तथा पाषाण उपकरण हैं। यहाँ से 3 युग्मित समाधि के उदहारण भी मिलते हैं। स्त्री-पुरुष शवाधान के साक्ष्य भी लोथल से ही प्राप्त होते हैं। लोथल की अधिकांश कब्रों में कंकालों के सिर उत्तर की ओर तथा पैर दक्षिण की ओर मिले हैं। केवल अपवाद स्वरूप एक कंकाल की दिशा पूर्व-पश्चिम की ओर मिला है।
लोथल के पूर्वी भाग में स्थित बंदरगाह का औसत आकार 214x36 मीटर तथा गहराई 3.3 मीटर है। बंदरगाह की उत्तरी दीवार में 12 मीटर चौड़ा एक प्रवेश द्वार था जिससे जहाज आते-जाते थे ओर दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जल की निकासी के लिए भी एक द्वार था। यहाँ से अन्य अवशेषों के रूप में धान, फारस की मुहरें एवं घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। लोथल से प्राप्त एक मृदभाण्ड पर एक कौआ तथा एक लोमड़ी उत्कीर्ण है, इससे इसका सम्बन्ध पंचतंत्र की चालाक लोमड़ी से किया जाता है। यहाँ से उत्तर अवस्था की अग्निवेदी भी मिली है। नाव के आकार की 2 मुहरें तथा लकड़ी का एक अन्नागार मिला है। अन्न पीसने की चक्की, हाथी दांत तथा पीस का पैमाना भी मिला है। यहाँ से आटा पीसने के 2 पाट मिले हैं, जो पूरे सिन्धु का एकमात्र उदहारण है। यहाँ से बटन के आकार की एक मुद्रा भी प्राप्त हुई है। यहाँ से प्राप्त 65 टेराकोटा की छोटी मुहरों में हड़प्पा सभ्यता के चिन्ह साफ़ देखे जा सकते हैं जिसके एक पृष्ठ पर सरकंडा, चटाई, कपडा, मुड़ी हुई रस्सी आदि की छाप है और दूसरी ओर हड़प्पाई मुहरों वाले चिन्ह बने हुए हैं।
लोथल में उत्खनन से जो नगर-योजना तथा अन्य भौतिक वस्तुएँ प्रकाश में आई हैं, उनसे लोथल एक लघु हड़प्पा नगर प्रतीत होता है। समुंद्र तट पर स्थित सिन्धु-सभ्यता का यह स्थल संभवतः पश्चिमी एशिया के साथ व्यापार के दृष्टिकोण से सर्वोत्तम बंदरगाह था।
महत्वपूर्ण बिन्दु
- सिन्धु घाटी सभ्यता का यह स्थल गुजरात के अहमदाबाद जिले में भोगवा नदी के किनारे स्थित है।
- इसे लघु हड़प्पा/मोहनजोदड़ो नगर भी कहा जाता है।
- यहाँ पर वर्ष 1954-55 में रंगनाथ राव के नेतृत्व में उत्खनन कार्य किया गया था।
- लोथल हड़प्पा काल का सर्वप्रमुख बंदरगाह था।
- यहाँ से हाथी दाँत का पैमाना प्राप्त हुआ है।
- लोथल से घोड़े की 3 मृण्मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं।
- कब्रिस्तान में पुरुष व महिलाओं को एक साथ दफ़नाने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- लोथल से पंचतंत्र की चालाक लोमड़ी का अंकन प्राप्त हुआ है।
- लोथल को हड़प्पा सभ्यता की वाणिज्यिक राजधानी भी कहा जाता है।
- यह सिन्धु घाटी सभ्यता का एकमात्र स्थल है जहाँ से चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- यहाँ से तराजू तथा मापन के बाट भी मिले हैं।
- लोथल से सोने के मनकों का बना हार भी प्राप्त हुआ है।
- लोथल से दुकानों के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं।
- लोथल सिन्धु घाटी सभ्यता का एकमात्र स्थल है जो केवल एक भाग में विभाजित था।
- यहाँ से बटन के आकार की एक मुद्रा भी प्राप्त हुई है।
- लोथल पूरे सिन्धु घाटी सभ्यता का एकमात्र उदहारण है,जहाँ से आटा पीसने के 2 पाट मिले हैं।
- ताम्रकार अथवा मनके बनाने वाले शिल्पकारों के मकान प्राप्त हुए हैं।
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