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सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल (Important Place Of Sindhu Ghati Sabhyata)

सिन्धु  घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल



हड़प्पा- पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित मॉन्टगोमरी जिले में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित है। हड़प्पा में ध्वंशावशेषों के विषय में सबसे पहले जानकारी 1826 में चार्ल्स मैन्सन ने दी थी।


मोहनजोदड़ो- इस सभ्यता के ध्वंशावशेष पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के लरकाना जिले में सिन्धु नदी के दाहिने किनारे पर प्राप्त हुए हैं। यह नगर करीब 5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।


लोथल- गुजरात के अहमदाबाद जिले में साबरमती और इसकी सहायिका भोगवा नदियों के बीच सरगवाला नामक ग्राम के समीप स्थित है। वर्तमान समय में यह समुद्रतट से 16-19 किलोमीटर दूर अवस्थित है।

 
धोलावीरा- गुजरात राज्य के कच्छ जिले की भचाऊ तालुका में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। यहाँ से सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष और खण्डहर मिले हैं इसलिए धोलावीरा का सम्बन्ध सिन्धु घाटी सभ्यता से माना जाता है।


राखीगढ़ी- दुनिया के सबसे बड़े एवं पुराने सिन्धु सभ्यता के स्थलों में से एक है, जो हरियाणा राज्य के हिसार जिले में सरस्वती तथा दृष्द्वती नदियों के शुष्क क्षेत्र में स्थित है।


बनावली- हरियाणा राज्य के हिसार जिले में रंगोई नदी के एक शुष्क प्रवाह मार्ग पर स्थित है। यहाँ मिले सुरक्षा दीवारों के बिच का भाग 300x500 मीटर है।


रंगपुर- गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप में मादर नदी के किनारे स्थित है। रंगपुर में उत्खनन कार्य 1931-53 के दौरान माधोस्वरूप वत्स तथा ए. रंगनाथ राव द्वारा किया गया था।


रोपड़- पंजाब प्रदेश के रोपड़ जिले में सतलुज नदी के बाएं तट पर स्थित है। रोपड़ का आधुनिक नाम रूपनगर था। सिन्धु सभ्यता के इस स्थान की खोज 1950 में ब्रजवासी लाल ने की थी। रोपड़ में उत्खनन कार्य स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1953-56 में यज्ञदत्त शर्मा द्वारा किया गया था।


चन्हूदड़ो- मोहनजोदड़ो के दक्षिण में स्थित सिन्धु सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल  है। इसकी खोज सर्वप्रथम 1931 में एन. गोपाल मजूमदार ने की थी तथा यहाँ पर 1943 में मैके ने सर्वप्रथम उत्खनन कार्य कराया था।


आलमगीरपुर- सिन्धु घाटी सभ्यता का भारत में स्थित सबसे पूर्वी स्थल है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में यमुना नदी की सहायक हिण्डन नदी के किनारे स्थित है।


माण्डा- भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में चेनाब नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। यह विकसित हड़प्पा संस्कृति का सबसे उत्तरी स्थल है। माण्डा में 1982 में जे.पी. जोशी तथा मधुबाला द्वारा उत्खनन कार्य कराया गया था।


कोटदीजी- सिंध प्रान्त के खैरपुर नामक स्थान से लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हड़प्पा सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह सिन्धु नदी के किनारे पर स्थित है।


बालाकोट- पाकिस्तान के उत्तरी भाग में खैबर-पख्तूनख्वा प्रान्त के मानसेहरा जिले की कागान घाटी में कुन्हार नदी के किनारे स्थित एक शहर है। यह नालाकोट से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर बलूचिस्तान के दक्षिणी तटवर्ती पट्टी पर स्थित है।


देसलपुर- गुजरात राज्य के भुज जिले में स्थित है। यह भुज से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  यह सिन्धु सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है।


कुंतासी- गुजरात राज्य के मोरबी जिले के मालिया तालुका में मोरबी से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यह स्थल कुंतासी गांव से लगभग 3 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में फुलकी नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है।


कालीबंगा- राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है। यहाँ पर उत्खनन कार्य 1953 में बी.बी. लाल एवं बी.के. थापड़ द्वारा कराया गया था।


सुरकोटदा- यह स्थल गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित है। इस स्थल की खोज 1964 में जगपति जोशी द्वारा की गयी थी। इस स्थल से सिन्धु सभ्यता के पतन के अवशेष प्राप्त होते हैं।


अल्लाहदीनों- सिन्धु और अरब सागर के संगम से लगभग 16 किमी. उत्तर-पूर्व एवं कराची से लगभग 40 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यहाँ पर सर्वप्रथम 1982 में फेयर सर्विस ने उत्खनन कार्य कराया था।

सुत्कागेंडोर- यह स्थल दक्षिण बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे स्थित है। यह सैन्धव सभ्यता की सुदूर पश्चिमी बस्ती थी। इस स्थल की खोज 1927 ई0 में ओरेल स्टाइन ने की थी। 

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