हड़प्पा
हड़प्पा- पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित मॉन्टगोमरी जिले में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित है। हड़प्पा में ध्वंशावशेषों के विषय में सबसे पहले जानकारी 1826 में चार्ल्स मैन्सन ने दी थी। सर जॉन मार्सल के निर्देशन में 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने इस स्थल का उत्खनन कार्य कराया था। 1946 में मार्टीमर व्हीलर ने हड़प्पा के पश्चिमी दुर्ग टीले की सुरक्षा प्राचीर का स्वरूप ज्ञात करने के लिये यहाँ पर उत्खनन कार्य कराया था। इसी उत्खनन के आधार पर व्हीलर ने रक्षा प्राचीर एवं समाधि क्षेत्र के पारस्परिक सम्बन्धों को निर्धारित किया था।
हड़प्पा नगर लगभग 5 किलोमीटर के क्षेत्र में बसा हुआ था। हड़पा से प्राप्त दो टीलों में पूर्वी टीले को नगर टीला तथा पश्चिमी टीले को दुर्ग टीले के नाम से सम्बोधित किया गया है। हड़प्पा का दुर्ग क्षेत्र सुरक्षा प्राचीर से घिरा हुआ था। दुर्ग की उत्तर से दक्षिण लम्बाई 420 मीटर तथा पूर्व से पश्चिम चौड़ाई 196 मीटर है। उत्खननकर्ताओं ने दुर्ग टीले को माउंट AB नाम दिया है। हड़प्पा के दुर्ग के बहार उत्तर दिशा में स्थित लगभग 6 मीटर ऊँचे टीले को F टीला कहा गया है, जिस पर अन्नागार, अनाज कूटने की वृत्ताकार चबूतरे और श्रमिक आवास के साक्ष्य मिले हैं। हड़प्पा से प्राप्त अन्नागार नगरमढ़ी के बहार रावी नदी के निकट स्थित थे। हड़प्पा के F टीले में पकी हुई ईंटों से निर्मित 18 वृत्ताकार चबूतरे भी प्राप्त हुए हैं। प्रत्येक चबूतरे का व्यास 3.20 मीटर है। हर चबूतरे में संभवतः ओखली लगाने के लिए छेद था। मार्टीमर व्हीलर का अनुमान है कि इन चबूतरों का उपयोग अनाज पीसने के लिए किया जाता रहा होगा।
हड़प्पा के सामान्य आवास क्षेत्र के दक्षिण में एक ऐसा कब्रिस्तान स्थित है जिसे समाधि आर-37 नाम दिया गया है। यहाँ पर प्रारम्भ में माधोस्वरूप वत्स ने उत्खनन कराया था, बाद में मार्टीमर व्हीलर ने 1946 में यहाँ पर उत्खनन कराया था। यहाँ पर खुदाई से कुल 57 शवाधान पाए गए हैं। हड़प्पा में सन 1934 में एक अन्य समाधि मिली थी जिसे समाधि H नाम दिया गया था। इस समाधि का सम्बन्ध सिन्धु सभ्यता के बाद के काल से था।
महत्वपूर्ण बिन्दु
- रायबहादुर दयाराम साहनी ने 1921 में यहाँ पर सर्वप्रथम उत्खनन कार्य किया था।
- हड़प्पा रावी नदी के तट पर स्थित है।
- अलेक्जेंडर कनिंघम के अनुसार हड़प्पा क्षेत्र 5 किलोमीटर में फैला हुआ था।
- अलेक्जेंडर कनिंघम ने उत्खनन से प्राप्त टीलों को A, B, C, D, E, F तथा थाना टीला में बाँटा था।
- 1928 तथा 1933 में टीला G तथा टीला H की खोज माधोस्वरूप वत्स ने की थी।
- हड़प्पा से 2 पहियों वाला ताँबे का रथ मिला है।
- टूटे हुए मटके प्राप्त हुए हैं।
- ताँबे व काँसे की मूर्तियाँ हड़प्पा से प्राप्त हुईं हैं।
- उर्वरता की देवी की मूर्ति भी हड़प्पा से प्राप्त हुईं हैं।
- अन्नागार प्राप्त हुआ है।
- अनाज कूटने के ईंटों से बने 18 वृत्ताकार चबूतरे हड़पा से प्राप्त हुए हैं।
- एक बर्तन पर बना मछुआरे का चित्र मिला है।
- शंख का बना बैल तथा पीतल का बना इक्का भी हड़प्पा से मिला है।
- श्रमिकों के आवास के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- समाधि आर-37 प्राप्त हुई है।
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