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बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण बिन्दु (Boddh dharm Important Points)

बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण बिन्दु

  1. महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसापूर्व के लगभग शाक्यों की राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी वन में हुआ था।
  2. लुम्बिनी नामक स्थान वर्तमान नेपाल राज्य के अन्तर्गत भारत की सीमा से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है।
  3. अशोक के रुम्मिनदेई स्तम्भलेख से ज्ञात होता है 'इद बुधे जाते' (यहाँ बुद्ध जन्मे थे)।
  4. अशोक का रुम्मिनदेई स्तम्भलेख सबसे छोटा अभिलेख है।
  5. महात्मा बुद्ध के पिता इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन थे।
  6. महात्मा बुद्ध की माता महामाया कोलीय वंश से थीं।
  7. जन्म के पाँचवे दिन बुद्ध को 'सिद्धार्थ' नाम दिया गया, जिसका अर्थ है "वह जो सिद्धी प्राप्ति के लिए जन्मा हो"।
  8. जन्मसप्ताह में ही माता के देहान्त के कारण उनका पालन-पोषण उनकी मौसी एवं विमाता महाप्रजापती गौतमी द्वारा किया गया था।
  9. सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ।
  10. वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।
  11. गौतम बुद्ध ने जिस ज्ञान की प्राप्ति की थी उसे 'बोधि' कहा जाता है।
  12. बौद्ध धर्म में दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करने वाला बोधिसत्व कहलाता है।
  13. बुद्ध बनना ही बोधिसत्व के जीवन की पराकाष्ठा है। इस पराकाष्ठा को ही बोधि (ज्ञान) नाम दिया गया है।
  14. महात्मा बुद्ध के अनुसार बोधि की प्राप्ति के पश्चात, लोभ, दोष, मोह, अविद्या, तृष्णा और आत्मां में विश्वास सब गायब हो जाते हैं।
  15. बोधि के तीन स्तर होते हैं : श्रावकबोधि, प्रत्येकबोधि और सम्यकसंबोधि।
  16. सम्यकसंबोधि बौध धर्म की सबसे उन्नत आदर्श मानी जाती है।
  17. सारनाथ में इन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया था।
  18. महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर (वर्तमान में उत्तर प्रदेश में स्थित), भारत में हुआ था।
  19. हीनयान/थेरवाद, महायान और वज्रयान बौद्ध धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय हैं।
  20. राजकुमार सिद्धार्थ के विषय में ब्राह्मणों ने भविष्यवाणी की थी कि यह बच्चा या तो एक महान राजा या एक महान पथ प्रदर्शक बनेगा।
  21. बौद्ध धर्म ‘मध्यम-मार्ग’ (न अत्यधिक विलासिता और न अत्यधिक संयम) पर विश्वास करता है। उनके अनुसार किसी भी प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग ही ठीक होता है ओर इसके लिए कठोर तपस्या करनी पड़ती है।
  22. बुद्ध के प्रथम गुरु आलार कलाम थे, जिनसे उन्होंने संन्यास काल में शिक्षा प्राप्त की।
  23. बुद्ध ने बोधगया में निरंजना नदी के तट पर कठोर तपस्या की तथा सुजाता नामक लड़की के हाथों खीर खाकर उपवास तोड़ा।
  24. महात्मा बुद्ध ने संस्कृत के स्थान पर उस समय की जनसाधारण की भाषा पाली में अपने धर्म का प्रचार किया था।
  25. महाप्रजापती गौतमी (बुद्ध की मौसी एवं विमाता) को सर्वप्रथम बौद्ध संघ मे प्रवेश प्राप्त हुआ था।
  26. आनंद, बुद्ध का प्रिय शिष्य था। बुद्ध आनंद को ही संबोधित करके अपने उपदेश देते थे।
  27. गौतम बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की उम्र में 483 ई. में पूर्व कुशीनारा (कुशीनगर) में हुई थी।
  28. बौद्ध धर्म के अनुयायी गौतम बुद्ध की मृत्यु को 'महापरिनिर्वाण' कहते हैं।
  29. बुद्ध की पत्नी यशोधरा अंत तक उनकी शिष्या नहीं बनीं थीं।
  30. अशोक ने बुद्ध के अवशेषों को निकलवा कर 84,000 स्तूपों में बांट दिया था।
  31. विद्वान मानते हैं कि महात्मा बुद्ध दार्शनिक न होकर एक समाजसेवी थे।
  32. गौतम बुद्ध कहते थे कि चार आर्य सत्य की सत्यता का निश्चय करने के लिए अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
  33. अष्टांगिक मार्ग के साधनों को तीन स्कन्धों प्रज्ञा, शील तथा समाधि में बांटा गया है।
  34. भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायिओं को पांच शीलों- अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, सत्य तथा सभी नशा से विरत का पालन करने की शिक्षा दी है।
  35. प्रतीत्यसमुत्पाद बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। जिसका शाब्दिक अर्थ है- "ऐसा होने पर वैसा होता है"
  36. बौद्ध धर्म के अनुसार दुःखों का मूल कारण- अविद्या या अज्ञान है। जबकि कुछ विद्वानों ने तृष्णा को दुःखों का मूल कारण माना है।
  37. बौद्ध दर्शन में सबसे महत्वपूर्ण दर्शन क्षणिकवाद का है। इसके अनुसार, इस ब्रह्मांड में सब कुछ क्षणिक और नश्वर है।
  38. महावग्ग तथा चुल्ल्वग्ग नामक ग्रन्थ बौद्ध धर्म के विनयपिटक से सम्बंधित हैं।
  39. अभिधम्म पिटक का संकलन तृतीय बौद्ध संगीति में हुआ था।
  40. बौद्ध ग्रन्थ कतावत्थू की रचना मोग्लिपुत्ततिस्स ने अभिधम्मपिटक में की थी।
  41. प्रारम्भिक बौद्ध ग्रन्थ पाली भाषा में लिखे गए थे।
  42. अभिधम्मपिटक प्रथम बौद्ध ग्रन्थ था जिसमें संस्कृत भाषा का थोड़ा सा प्रयोग मिलता है।
  43. बौद्ध धर्म की पुनः स्थापना करने वाला बंगाल का पाल वंशीय राजा देवपाल (810-850 ई.) था।
  44. बौद्ध धर्म का महायान सम्प्रदाय लचीला होने के कारण विश्व में सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
  45. महायान सम्प्रदाय के अनुयायी महात्मा बुद्ध को भगवान मानते हैं।
  46. बौद्ध धर्म के शून्यवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन नागार्जुन ने किया था।
  47. महात्मा बुद्ध की शिक्षायें यथार्थ अनुभव पर आधारित थी।
  48. बौद्ध धर्म की शिक्षा का सारांश ‘चार आर्य सत्य’ में निहित है।
  49. आत्मा को न मानने पर भी बौद्ध धर्म करुणा से ओतप्रोत हैं। दु:ख से द्रवित होकर ही बुद्ध ने सन्यास लिया और दु:ख के निरोध का उपाय खोजा।
  50. बौद्ध धर्म आत्मा को नहीं मानता है इसलिए महात्मा बुद्ध ने आत्मा के आधार पर पुनर्जन्म की व्याख्या नहीं की है।
  51. अनात्मवादी(No-soul) होने के कारण बौद्ध धर्म का वैदिक धर्मावलम्बियों ने घोर विरोध किया। इस विरोध के फलस्वरूप बौद्ध धर्म को भारत से निर्वासित होना पड़ा।
  52. बौद्ध धर्म ईश्वर और वेदों की प्रमाणिकता पर विश्वास नहीं करता है। महात्मा बुद्ध के अनुसार मानव स्वयं अपने भाग्य का निर्णायक है।
  53. बौद्ध धर्म तत्कालीन ब्राह्मण धर्म की तुलना में अधिक उदार और अधिक जनतान्त्रिक था।
  54. भारत में बौद्ध धर्म का एक नवयान संप्रदाय भी है जो भीमराव आम्बेडकर द्वारा निर्मित है।
  55. महायान मतावलम्बी थेरावादियों को "हीनयान" अर्थात छोटी गाड़ी कहते हैं।
  56. महायान संप्रदाय के लोग संस्कृत भाषा का प्रयोग किया करते थे। 
  57. बौद्ध धर्म में संगीति का अर्थ है 'साथ-साथ गाना'
  58. बौद्ध धर्म में कुल 4 संगीतियाँ हुईं थीं।
  59. त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, थेरवाद, बज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद आदि) स्वीकार करते हैं।
  60. त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संगृहीत हैं
  61. त्रिपिटक के तीन भाग हैं- सुत्त पिटक, विनय पिटक तथा अभिधम्म पिटक।
  62. बौद्ध धर्म जीवन का चरम लक्ष्य निर्वाण प्राप्ति को मानता है।
  63. बौद्ध धर्म संसार को दुःखमय मानता है तथा दुःखनिरोध (दुःखों का अंत) को निर्वाण मानता है।
  64. बौद्ध धर्म वर्ण को गुण व कर्म के अनुसार मानता है, न कि जन्म के आधार पर, इसीलिए यह धर्म निम्नवर्ण में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ।
  65. बौद्ध धर्म के प्रभाव के कारण ही हिन्दू धर्म (ब्रह्मण धर्म) में गौरक्षा को महत्व मिला।
  66. बौद्ध धर्म प्रत्यक्षवादी है। यह उस प्रत्येक चीज का बहिष्कार करता है जो प्रत्यक्ष रूप से ज्ञात न हो। महात्मा बुद्ध कभी भी प्रत्यक्ष व तर्क के दायरे के बाहर की किसी बात को स्वीकार नहीं करते थे।


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