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Sutkagan Dor (सुत्कागेंडोर)

 सुत्कागेंडोर

    

सुत्कागेंडोर- यह स्थल दक्षिण बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे स्थित है। यह सैन्धव सभ्यता की सुदूर पश्चिमी बस्ती थी। इस स्थल की खोज 1927 ई0 में ओरेल स्टाइन ने की थी। जार्ज ने 1962 ई0 में इसका सर्वेक्षण किया तथा यहाँ से दुर्ग, बन्दरगाह एवं  निचले नगर का पता लगाया। यहाँ से हड़प्पा संस्कृति की परिपक़्व अवस्था के अवशेष प्राप्त हुए हैं। संभवतः यह समुद्र तट पर अवस्थित एक बन्दरगाह था। 

    यहाँ से प्राप्त दुर्ग एक प्राकृतिक चट्टान के ऊपर स्थित था। जिसकी दीवार में बुर्ज तथा द्वार भी बनाये गये थे। यहाँ से प्राप्त बस्ती के आकार एवं प्रकार से ज्ञात होता है कि यह मोहनजोदड़ो तथा कालीबंगन की भांति कोई बड़ा नगर नहीं था, अपितु यह एक बन्दरगाह के रूप में महत्वपूर्ण था। सिन्धु तथा मेसोपोटामिया के बीच होने वाले समुद्री व्यापार को सुगम बनाने तथा उसकी देख-रेख करने के उद्देश्य से इस स्थान पर नगर को बसाया गया था।

    यहाँ से प्राप्त अवशेषों में मृद्भाण्ड, एक ताम्र निर्मित बाणाग्र, ताम्र निर्मित ब्लेड के टुकड़े, मिट्टी की चूड़ियां तथा तिकोने ठीकरे आदि प्रमुख हैं। किन्तु यहाँ से कोई भी मुहर अथवा अन्य खुदी हुई वस्तु नहीं मिली है। यहाँ से मनुष्य की अस्थि-राख से भरा हुआ बर्तन, तांबे की कुल्हाड़ी, मिट्टी से बनी चूड़ियाँ एवं बर्तनों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।


महत्वपूर्ण बिन्दु 

  • सिन्धु सभ्यता का यह स्थल दक्षिण बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे स्थित है।
  • यह सैन्धव सभ्यता की सुदूर पश्चिमी बस्ती थी।
  • इस स्थल की खोज 1927 ई0 में ओरेल स्टाइन ने की थी।
  • 1962 ई0 में जार्ज ने इसका सर्वेक्षण किया तथा यहाँ से दुर्ग, बन्दरगाह एवं  निचले नगर का पता लगाया।
  • सुत्कागेंडोर से हड़प्पा संस्कृति की परिपक़्व अवस्था के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • संभवतः सुत्कागेंडोर एक बन्दरगाह नगर था।
  • यहाँ से मनुष्य की अस्थि-राख से भरा हुआ बर्तन, तांबे की कुल्हाड़ी, मिट्टी से बनी चूड़ियाँ एवं बर्तनों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
  • यहाँ से कोई भी मुहर अथवा अन्य खुदी हुई वस्तु नहीं मिली है।
  • यहाँ से प्राप्त दुर्ग एक प्राकृतिक चट्टान के ऊपर स्थित था।
  • सिन्धु तथा मेसोपोटामिया के बीच होने वाले समुद्री व्यापार को सुगम बनाने तथा उसकी देख-रेख करने के उद्देश्य से इस स्थान पर नगर को बसाया गया था।

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