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Kalibangan (कालीबंगा)

 कालीबंगा


कालीबंगा- राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है। यहाँ पर उत्खनन कार्य 1953 में बी.बी. लाल एवं बी.के. थापड़ द्वारा कराया गया था। इस स्थान से प्राक हड़प्पाकालीन एवं हड़प्पाकालीन संस्कृतियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की भांति कालीबंगा में सुरक्षा दीवार से घिरे दो टीले पाए गए हैं। कालीबंगा के दुर्ग टीले के दक्षिणी भाग में मिट्टी और कच्ची ईटों के बने हुए पांच चबूतरे मिले हैं जिनके शिखर पर हवन कुण्डों के होने के साक्ष्य मिले हैं। अन्य हड़प्पा कालीन नगरों की तरह कालीबंगा भी दो भागों नगर दुर्ग तथा निचले दुर्ग में विभाजित था। नगर दुर्ग सामानांतर चतुर्भुजाकार था। यहाँ से प्राप्त भग्नावशेषों से स्पष्ट होता है कि यहाँ भवन कच्ची ईटों के बने हुए थे। 

    कालीबंगा से हड़प्पाकालीन सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि एक जुते हुए खेत का साक्ष्य मिला है जिसके कुण्डों के बीच का फासला पूर्व से पश्चिम के ओर 30 सेंटीमीटर तथा उत्तर से दक्षिण की ओर 1.10 मीटर है। इस प्रकार के जुते हुए खेतों में कम दूरी के खाँचो में चना और अधिक दूरी के खाँचों में सरसों की बुवाई की जाती थी, जिसे एकसाथ दो फसल बोने का प्रमाण माना जाता है। 

    कालीबंगा में लघु पाषाण उपकरण, माणिक्य एवं मिट्टी के मनके, शंख, काँच एवं मिट्टी की चूड़ियां, खिलौना गाडी के पहिये, सांड की खण्डित मृण्मूर्तियां तथा सिलबट्टे आदि के पुरावशेष प्राप्त हुए हैं। कालीबंगा से प्राप्त शैलखड़ी की मुहरें और मिट्टी की छोटी मुहरें सर्वाधिक महत्वपूर्ण अभिलेखीय साक्ष्य थे। मिट्टी की मुहरों पर सरकण्डे की छाप मिली है, जिससे यह प्रतीत होता है कि इनका प्रयोग पैकिंग के लिए किया जाता रहा होगा। एक सील पर किसी आराध्य देव के आकृति भी अंकित की गयी है। कालीबंगा से प्राप्त मुहरें मेसोपोटामियाई मुहरों के समकक्ष थीं।

    कालीबंगा की प्राक-सैंधव कालीन बस्तियों में प्रयुक्त होने वाली कच्ची ईटें 30x20x10 सेमी. आकार की होती थीं। यहाँ से प्राप्त मकानों के अवशेषों से ज्ञात होता है कि सभी मकान कच्ची ईटों से बनाये गए थे, किन्तु नालियों तथा कुंओ में पक्की ईटों का प्रयोग किया गया था। कालीबंगा में कुछ अलंकृत ईटों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। कालीबंगा का एक फर्श पूरी सैंधव सभ्यता का एकमात्र उदहारण है जहाँ अलंकृत ईटों का प्रयोग किया गया था। इस फर्श पर प्रतिच्छेदी वृत्त का अलंकरण किया गया था। 

    कालीबंगा के दक्षिण-पश्चिम में एक कब्रिस्तान भी मिला है, जहाँ से शव विसर्जन के 37 उदहारण मिले हैं। कालीबंगा में अंत्येष्टि संस्कार की तीनों विधियां- पूर्ण समाधिकरण , आंशिक समाधिकरण तथा दाह संस्कार प्रचलित थीं। कालीबंगा में एक बच्चे की खोपड़ी मिली है जिसमें 6 छेद हैं, इसे जल कपाली या मस्तिष्क की बीमारी पर किये गए शोध का प्रमाण माना गया है। यहाँ से एक कंकाल मिला है जिसके बाएं घुटने पर किसी धारदार कुल्हाड़ी से काटने का निशान बना है।

    कालीबंगा से भूकम्प के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं। कुछ विद्वानों ने कालीबंगा के बारे में माना है कि यह सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी रहा होगा। यहाँ से अग्नि वेदिकाएं तथा मिट्टी का बना पैमाना भी प्राप्त हुआ है। एक मृणपट्टिका पर उत्कीर्ण सींग युक्त देवता की मूर्ति भी यहाँ से प्राप्त हुई है। सिन्ध क्षेत्र से बाहर केवल कालीबंगा की मुहर पर बाघ का चित्रण मिलता है। संभवतः घग्घर नदी के सूख जाने के कारण कालीबंगा का विनाश हो गया था। 


महत्वपूर्ण बिन्दु


  • कालीबंगा राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है।
  • 1953 में बी.बी. लाल एवं बी.के. थापड़ द्वारा उत्खनन कार्य कराया गया था।
  • कालीबंगा सैंधव सभ्यता का एकमात्र स्थल है जिसके दोनों भाग दुर्गीकृत थे। 
  • कालीबंगा से एक जुते हुए खेत का साक्ष्य मिला है जो हड़प्पाकालीन सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 
  • यहाँ से एक साथ दो फसल बोये जाने के प्रमाण मिले हैं।
  • कालीबंगा से तांबे की बनी वृषभ की मूर्ती भी प्राप्त हुई है। 
  • कपाल में छेद वाले बालक का शव कालीबंगा से ही प्राप्त हुआ है, जिसे शल्य चिकित्सा का उदहारण माना गया है। 
  • कुछ विद्वानों ने कालीबंगा को सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी माना है। (दशरथ शर्मा ने कालीबंगा को सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी माना है।)
  • सिंध क्षेत्र से बाहर केवल कालीबंगा से प्राप्त मुहर पर बाघ का चित्रण मिलता है।
  • कालीबंगा से मिट्टी का बना पैमाना भी मिला है। 
  • कालीबंगा से भूकम्प के प्राचीनतम साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। 
  • मृणपट्टिका पर उत्कीर्ण सींग युक्त देवता की मूर्ती भी यहाँ से प्राप्त हुई है। 
  • यहाँ से तीनों प्रकार की अंत्येष्टि संस्कारों के प्रमाण भी मिलते हैं। 
  • यहाँ से एक कंकाल मिला है जिसके बाएं घुटने पर किसी धारदार कुल्हाड़ी से काटने का निशान बना है।
  • संभवतः घग्घर नदी के सूख जाने के कारण कालीबंगा का विनाश हो गया था।
  • कालीबंगा में सभी मकान कच्ची ईटों से बनाये गए थे। 
  • नालियों तथा कुंओ में पक्की ईटों का प्रयोग किया गया था।
  • कालीबंगा की प्राक-सैंधव कालीन बस्तियों में प्रयुक्त होने वाली कच्ची ईटों का आकार 30x20x10 सेमी. था। 
  • कालीबंगा में कुछ अलंकृत ईटों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
  • कालीबंगा का एक फर्श पूरी सैंधव सभ्यता का एकमात्र उदहारण है जहाँ अलंकृत ईटों का प्रयोग किया गया था।
  • कालीबंगा के दक्षिण-पश्चिम से प्राप्त कब्रिस्तान से शव विसर्जन के 37 उदहारण मिले हैं।




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