सुरकोटदा
सुरकोटदा- यह स्थल गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित है। इस स्थल की खोज 1964 में जगपति जोशी द्वारा की गयी थी। इस स्थल से सिन्धु सभ्यता के पतन के अवशेष प्राप्त होते हैं। यहाँ से प्राप्त अवशेषों में घोड़े की अस्थियां एवं एक अनोखी कब्रगाह महत्वपूर्ण हैं। सुरकोटदा के नगर क्षेत्र से ही घोड़े की अस्थियां मिली हैं जिन्हें 2000 ई.पू. की स्वीकार किया गया है। यहाँ से प्राप्त कब्रगाह एक बड़े आकार की शिला से ढकी हुई थी। यह कब्र सैंधव सभ्यता के अभी तक ज्ञात शव-विसर्जन परम्परा में सबसे नवीन प्रकार की है। दुर्गीकृत क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमसे कलश शवाधान के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। सुरकोटदा से सिन्धु सभ्यता की विकसित संस्कृति के साक्ष्य भी मिले हैं। अन्य नगरों के विपरीत सुरकोटदा नगर दो भागों- गढ़ी तथा आवास क्षेत्र में विभाजित था। सुरकोटदा के दुर्ग एवं नगर क्षेत्र दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे। सुरकोटदा के दुर्ग को पीली कुटी हुई मिट्टी से निर्मित चबूतरे पर बनाया गया था। इसके दुर्ग में दक्षिण एवं उत्तर में एक-एक दरवाजे हैं। इसके दक्षिण दरवाजे के पास एक रक्षक आवास था। इसमें से एक दरवाजा नगर को दुर्ग से जोड़ता था। दुर्ग टीले में से 9 कमरों वाला एक विशाल भवन भी मिला है। सुरकोटदा से नियमित आवास के साक्ष्य मिले हैं।
महत्वपूर्ण बिन्दु
- सुरकोटदा गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित है।
- सुरकोटदा की खोज 1964 में जगपति जोशी द्वारा की गयी थी।
- यहाँ से सिन्धु सभ्यता के पतन के अवशेष प्राप्त होते हैं।
- सुरकोटदा के नगर क्षेत्र से घोड़े की अस्थियां मिली हैं जिन्हें 2000 ई.पू. की स्वीकार किया गया है।
- यहाँ से प्राप्त कब्रगाह एक बड़े आकार की शिला से ढकी हुई थी।
- सुरकोटदा से प्राप्त कब्र सैंधव सभ्यता के अभी तक ज्ञात शव-विसर्जन परम्परा में सबसे नवीन प्रकार की है।
- दुर्गीकृत क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमसे कलश शवाधान के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
- सुरकोटदा से सिन्धु सभ्यता की विकसित संस्कृति के साक्ष्य भी मिले हैं।
- सुरकोटदा से नियमित आवास के साक्ष्य मिले हैं।
- सुरकोटदा नगर दो भागों- गढ़ी तथा आवास क्षेत्र में विभाजित था।
- सुरकोटदा के दुर्ग को पीली कुटी हुई मिट्टी से निर्मित चबूतरे पर बनाया गया था।
- सुरकोटदा के दुर्ग एवं नगर क्षेत्र दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे।
- इसके दुर्ग में दक्षिण एवं उत्तर में एक-एक दरवाजे हैं।
- इसके दक्षिण दरवाजे के पास एक रक्षक आवास था।
- सुरकोटदा के दुर्ग टीले में से 9 कमरों वाला एक विशाल भवन भी मिला है।
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